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Sultana Saku History in Hindi

सुल्ताना डाकू का इतिहास हिंदी में

Sultana Saku History in Hindi

मुरादाबाद के हरथाला गांव में जन्में सुल्ताना डाकू ने 17 साल की उम्र में ही जुर्म की दुनिया में कदम रख दिया था। कुछ ही सालों में उसने ब्रिटिश हुकूमत के अधिकारियों और जमींदार लोगों के बीच अपने नाम का खौफ पैदा कर दिया था। हालांकि, अपनी रहम-दिली और दिलेरी के लिए लोग उसे गरीबों का मसीहा भी करार देते थे।

धर्मांतरण को रोकने के लिया वो बन गया था डकैत! कहानी डाकू सुल्ताना की जिसने अंग्रेजों की नाक में दम कर दिया

देश में धर्मांतरण को लेकर रोज नए मामले सामने आ रहे हैं। धर्मांतरण पर रोज नई खबरें छप रही हैं, लेकिन इससे अलग हम आपको बताएंगे कहानी एक ऐसे शख्स की जो इस धर्मांतरण (Religious Conversion) से इतना ज्यादा दुखी हुआ कि वो बन गया बीहड़ का डाकू। ऐसा खूंखार डाकू जिसके नाम से भी पुलिस थरथराती थी। इस डाकू ने सिर्फ धर्मांतरण को रोकने के लिए घर-बार का त्याग कर दिया और बीहड़ को चुना। हाथ में उठा ली बंदूक और फिर आगे बढ़ता ही चला गया।

Sultana Saku History in Hindi

मेरठ, जेएनएन। एक सदी पहले आतंक का पर्याय रहने के साथ-साथ इंडियन रॉबिनहुड की छवि रखने वाले सुल्‍ताना डाकू पर एक बार फिर फिल्‍म बनाने की तैयारी है। सौ साल पहले सुल्ताना डाकू बिजनौर-कोटद्वार क्षेत्र में खौफ था। वर्तमान कुमाऊं तक उसका राज चलता था।
कहा जाता है कि सुल्ताना डाकू यानि सुल्तान सिंह घुमंतू, बंजारे भांतू समुदाय से ताल्लुक रखता था और एक साधारण इंसान था।
सुल्ताना और उसके गिरोह के तीन सदस्यों को 14 नवंबर, 1923 को हिरासत में लिया गया और उन्हें हलद्वानी जेल में बंद कर दिया गया। डाकू को हत्या और डकैती का दोषी पाया गया और 7 जुलाई, 1924 को फाँसी दे दी गई। कॉर्बेट सुल्ताना की गिरफ़्तारी के साथ-साथ डाकू को बेड़ियों में जकड़े जाने के भी आलोचक थे।
साल 1924 में डाकू सुल्ताना को फांसी दी गईआखिरकार 23 जून 1923 को इस डाकू को गिरफ्तार कर लिया गया। डाकू सुल्ताना और चार साथियों को 7 जुलाई 1924 फांसी दी गई जबकि गैंग के 40 अन्य लोगों को कालापानी की सजा हुई।
आगरा, मथुरा, मुरैना के लोग साल 1940 से 1955 तक कुख्यात डकैत मान सिंह का नाम सुनकर थर-थर कांपते थे। मान सिंह को चंबल का सबसे खतरनाक डाकू बताया जाता है। मान सिंह आगरा के राजपूत परिवार से ताल्लुक रखता था। डकैत मान सिंह पर 1112 लूट और 125 हत्याओं के मामले दर्ज थे।
मोहर सिंह को सबसे खूंखार माना जाता था. डाकू मोहर सिंह को अपहरण करने में माहिर माना जाता था. कहा जाता है कि चम्बल के आसपास के लोगों ने अपने आप को पैसे वाला दिखाना बंद कर दिया था क्योंकि कोई भी अमीर नजर आता तो मोहर सिंह उसका अपहरण कर फिरौती वसूलता था.
सुल्ताना शब्द सुल्तान (अरबी: سلطان) शब्द का स्त्रीलिंग रूप है, एक अरबी अमूर्त संज्ञा जिसका अर्थ है "ताकत", "अधिकार", "शासन", मौखिक संज्ञा سلطة सुलताह से लिया गया है, जिसका अर्थ है "अधिकार" या "शक्ति" .
कानूनी तौर पर 376 लोगों को ले जाने की अनुमति है, सुल्ताना 2,300 से अधिक यात्रियों को ले जा रहा था, जिनमें से अधिकांश संघ के सैनिक थे जिन्हें हाल ही में कॉन्फेडरेट जेलों से रिहा किया गया था। अमेरिकी इतिहास की सबसे भीषण समुद्री आपदा में मरने वालों की अनुमानित संख्या लगातार बढ़कर 1,700 या 1,800 हो गई है।
सुल्ताना एक अरबी मूल का मुस्लिम नाम है, अंग्रेजी में सुल्ताना का अर्थ रानी, ​​साम्राज्ञी, महिला शासक होता है और इसका उर्दू अर्थ ملکہ, سُلطان کی قلمرو, حکمران عورت आदि है।
सुल्तान (سلطان) शब्द अरबी भाषा से आता है। मूल रूप से, यह एक अमूर्त संज्ञा थी जिसका अर्थ था 'ताक़त', 'अधिकार', 'शासन'। आम तौर पर यह उपाधि मुस्लमान शासकों के लिए इस्तेमाल की जाती है।

धर्मांतरण को रोकने के लिए उसने उठाई बंदूक

ये कहानी है डाकू सुल्ताना की जिसका असली नाम सुल्तान सिंह था। साल 1901 में सुल्तान सिंह का जन्म उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद में हुआ। तब देश में अंग्रेजों का शासन था। बचपन से ही वो भेदभाव देखता आया। जब सुल्ताना की उम्र 17 साल हुई तो एक वारदात ने उसका जीवन हमेशा के लिए बदल के रख दिया। उसके गांव में अंग्रेज हिंदुओं को ईसाई धर्म में कन्वर्ट कर रहे थे और वो भी कोई लालच या पैसा देकर नहीं बल्कि मारपीट कर लोगों का धर्मांतरण (Religion Conversion) हो रहा था। लोगों को बंदूक की नोक पर धर्म बदलने के लिए मजबूर किया जा रहा था। बस ये वो दिन था जब सुल्तान सिंह ने अंग्रेजों से बदला लेने की ठान ली।

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अंग्रेजों के खिलाफ डाकू सुल्ताना ने खोला मोर्चा

17 साल का लड़का ये तो तय कर चुका था कि वो अंग्रेजों के धर्मांतरण को रोकेगा, लेकिन कैसे? सुल्तान इसके बाद वापस अपने घर नहीं लौटा। उसने जंगलों में ही अपनी राह चुनी। वो नजीबाबाद के जंगलों में रहने लगा और अंग्रेजों के खिलाफ एक गैंग तैयार किया। धीरे-धीरे कई लड़के उसके साथ जुड़ने लगे। ये लोग गांव के उन अमीर लोगों को निशाना बनाते थे जो अंग्रेजों का साथ देते थे। ये ऐसे घरों में डकैती करने लगे और डकैती किए हुए पैसों को गरीबों में बांटने लगे।

चिट्ठी लिखकर देता था डकैती का अल्टीमेटम

धीरे-धीरे सुल्तान सिंह का गैंग मजबूत होने लगा था और अब ये अंग्रजों के लिए मुसीबत बनने लगा था। अंग्रेज सुल्तान सिंह को सुल्ताना कहने लगे और सुल्तान सिंह डाकू सुल्ताना के नाम से मशहूर हो गया। सुल्ताना का डकैती का अंदाज भी बड़ा निराला था। वो जिसके घर में भी डाका डालता था वहां पहले एक खत भिजवाता था। उस खत में डकैती का दिन और टाइम पहले से ही तय होता था। तय टाइम पर ही सुल्ताना का गैंग उस घर में डकैती करता था।अंग्रेजों की पुलिस चाहते हुए उसे नहीं रोक पाती थी।

गरीबों के बीच बनाई थी राबिनहुड की छवि

उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड तब एक ही हुआ करता था। वहां के जंगलों में सिर्फ डाकू सुल्ताना का ही राज चलता था। अगर किसी ने अंग्रेजों से डाकू सुल्ताना के खिलाफ मदद मांगी तो उसकी मौत तय थी और इसलिए ज्यादातर लोग ऐसा करने से बचते थे। आमतौर पर डाकू सुल्ताना किसी की हत्या नहीं करता था। गरीब लोगों की मदद करने की वजह से उसे लोग अपना सहारा मानने लगे थे। उसकी छवि गरीबों के बीच राबिनहुड की बन चुकी थी। वो एक-एक कर अंग्रेजों और उनके सहयोगियों को निशाना बना रहा था। अंग्रेजी हुकूमत के लिए डाकू सुल्ताना मुसीबत बनता जा रहा था।

सुल्ताना को पकड़ने के लिए जिम कॉर्बेट की मदद ली थी

वो जंगलों में छुपा रहता था इसलिए अंग्रेजी फौज के लिए उसे पकड़ना आसान नहीं था। कहते हैं कितनी बार उसे पकड़ने की कोशिश की गई, लेकिन हर बार अंग्रेजी अधिकारी नाकाम ही हुए। यहां तक की जंगल को जानने वाले जिम कॉर्बेट की मदद भी डाकू सुल्ताना को पकड़ने के लिए ली गई। एडवर्ड जिम कॉर्बेट नैनीताल में जन्मे ब्रिटिश भारतीय थे। उन्होंने उत्तराखंड के जंगलों के लिए काफी ज्यादा काम किया और उन्हीं के नाम पर जिम कॉर्बेट उद्यान का नाम पड़ा। खैर एडवर्ड कॉर्बेट को पूरे जंगल का अच्छा आइडिया था और इसलिए ब्रिटिश सेना ने डाकू सुल्ताना को पकड़ने के लिए उनकी मदद ली, लेकिन इसके बावजूद डाकू सुल्ताना को गिरफ्तार नहीं कर पाए।

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300 जवानों का दल तैयार किया गया था

अंग्रेजी हुकूमत किसी भी कीमत पर इसे पकड़ना चाहती थी। उस समय के एक यंग ऑफिसर फ्रेडी को अब ये काम सौंपा गया। 300 जवानों और 50 घुड़सवारों की एक टीम तैयार की गई जो जंगल में डाकू सुल्ताना को गिरफ्तार करेगी। फ्रेडी का एकमात्र लक्ष्य था सुल्ताना को गिरफ्तार करना, लेकिन कई कोशिशों के बावजूद डाकू फ्रेडी की पकड़ में नहीं आ रहा था। यहां तक की एक बार तो डाकू सुल्ताना से फ्रेडी का आमना सामना हुआ और डाकू सुल्ताना ने फ्रेडी की जान बख्श दी। इसके बाद तो वो ऑफिसर फ्रेडी सुल्ताना का कायल हो गया। हालांकि फ्रेडी ने अपना काम जारी रखा।

साल 1924 में डाकू सुल्ताना को फांसी दी गई

डाकू सुल्ताना के गैंग के ही कुछ लोगों ने डाकू सुल्ताना के साथ विश्वासघात किया और उसके जंगल में छुपे होने की सूचना पुलिस तक पहुंचा दी। आखिरकार 23 जून 1923 को इस डाकू को गिरफ्तार कर लिया गया। डाकू सुल्ताना और चार साथियों को 7 जुलाई 1924 फांसी दी गई जबकि गैंग के 40 अन्य लोगों को कालापानी की सजा हुई। जिस ऑफिसर फ्रेडी ने सुल्ताना को गिरफ्तार किया था उसने प्रशासन से सुल्ताना को फांसी न देने की मांग की थी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।

बेटा बना देश का IPS ऑफिसर

फांसी की पहली रात फ्रेडी डाकू सुल्ताना से मिलने गया था। डाकू सुल्ताना ने फ्रेडी से कहा कि उसका एक बेटा है वो चाहता था कि उसका बेटा एक इज्जतदार इंसान की जिंदगी जिए। कहते हैं बाद में फ्रेडी ने उस बच्चे को गोद ले लिया और उसे एक आईपीएस ऑफिसर बनाया। डाकू सुल्ताना की पत्नी पुतली ने भी पति की मौत के बाद बीहड़ को चुना और डाकू बन गई।

सुल्ताना डाकू का नाम अमर के लिए एक हिंदी फिल्म भी बनी है:-

सुल्ताना डाकू का नाम अमर के लिए एक हिंदी फिल्म भी बनी है:-

सुल्ताना डाकू एक अहिंसा वादी जो कभी भी किसी गरीब को परेशान नहीं करता था।
वो जितना पक्का दुश्मन अंग्रोजे के लिए था. उतना ही दयालु गरीबो के लिए था.
वह अंग्रजो का सारा माल लूटकर गरीबो में बात दिया करता था.
उसी के कर एक हिंदी फ्लिम भी बानी जैसे आप देख सकते है..

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